top of page
Search
  • Writer's picturePihu Mukherjee

मृत्यु हमेशा साथ चलती है, आज़ाद


सहैव मृत्युर्व्रजति

सह मृत्युर्निषीदति।

गत्वा सुदीर्घमध्वानं

सहमृत्युर्निवर्तते।।


अर्थात- मृत्यु सदा साथ ही चलती है, साथ ही बैठती है और सुदूरवर्ती पथ पर भी साथ-साथ जाकर साथ ही लौट आती है अर्थात हम सदा ही उसके वश में रहते हैं।


आज़ाद


राष्ट्रपुत्र

अहं ब्रह्मास्मि

विश्व साहित्य परिषद्

बॉम्बे टॉकीज़ फाउंडेशन

वर्ल्ड लिटरेचर आर्गेनाइजेशन

भारत बंधू

राजनारायण दूबे

कामिनी दुबे

द बॉम्बे टॉकीज़ स्टूडिओज़




0 views0 comments
bottom of page