top of page
Search
  • Writer's picturePihu Mukherjee

राजधानी दिल्ली में आज़ाद की हुंकार अहं ब्रह्मास्मि


६ सितम्बर को राजधानी दिल्ली में राष्ट्रवादी फ़िल्मकार सैन्य विद्यालय के छात्र आज़ाद की कालजयी रचना अहम ब्रह्मास्मि ने हुंकार भरी! दिल्ली को अपने मूल अस्तित्व का अनुभव हो रहा है। दिल्ली के बसंत कुंज में स्थित पी वी आर आइकॉन में भारतीय सिनमा के आधारस्तम्भ द बॉम्बे टॉकीज़ स्टूडियोज़ एवं क्रान्तिकारी निर्मात्री कामिनी दुबे के संयुक्त निर्माण और सैन्य विद्यालय के छात्र और सनातनी राष्ट्रवादी फ़िल्मकार आज़ाद के द्वारा लिखित, सम्पादित, निर्देशित और अभिनीत देवभाषा संस्कृत की पहली मुख्यधारा फ़िल्म अहम ब्रह्मास्मि का भव्य प्रीमियर सम्पन्न हुआ।

दिल्ली के अभिजात्य एवं अंग्रेज़ीदाँ दर्शकों के बीच अहम ब्रह्मास्मि का प्रदर्शन रेगिस्तान में ठंडी हवा का झोंका साबित हुआ। वन्दे मातरम और भारत माता की जय के नारों और उद्गारों के बीच सैकड़ों -हज़ारों की संख्या में दर्शक टिकट खिड़की पर लाइन में लगे हुए दिखाई दिए। दूसरी तरफ़ थिएटर के अंदर वीररस के नायक आज़ाद के संवादों पर तालियों का तांडव शुरू हो जाता है। आज़ाद की गुरु गम्भीर आवाज़ में अहं ब्रह्मास्मि के धमाकेदार संवाद दर्शकों के सर चढ़कर बोल रहा है। संस्कृत भाषा को धार्मिक कर्म-कांड और जटिल समझनेवाले भाषविदों की आँखें तब खुली की खुली रह गई जब उन्होंने अहं ब्रह्मास्मि के गीतों पर लड़के -लड़कियों को थिरकते हुए देखा। राष्ट्रवाद की लहर पर सवार ये देश अब पूरी तरह से बदलने को तैय्यार बैठा है। संस्कृत के माध्यम से संस्कृति का सफ़र तय करने मक़सद से निर्मित-सृजित आज़ाद की कृति एक सांस्कृतिक घटना बन चुकी है।


जयतु जयतु संस्कृतम

0 views0 comments
bottom of page